“अन्त कितना ही भयानक हो परन्तु सन्तों की शरण उस अंत को संवार देती है।“
लखनऊ २४ अप्रैल श्री परशुराम जी जन्मोत्सव के उन्नीसवे समारोह के अंतर्गत श्री परशुराम जी मंदिर ठाकुरगंज में आयोजित श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के द्वितीय दिवस पूज्य डा० योगेश व्यास जी ने भागवत कथा के दूसरे दिन पुराण शब्द की व्याख्या करते हुये कहा कि (पुरानवं इति पुराण) जो अत्यन्त प्राचीन होकर भी नवीन है वही पुराण है। इसका चिंतन जब भी करते हैं एक नवीन भाव प्रगट् हो ।पुराण मेंसृष्टि, संहार, मन्वन्तर,काल चक्र, भगवान वभक्तों की कथायें मानव जीवन का श्रृंगार करदेती है।
डा० योगेश व्यास जी ने महाभारत के अनेक प्रसंगों का वर्णन किया। दुर्योधन के अंतिम समय में अश्वत्थामा द्वारा पांडवों के पुत्रों का वध ,परीक्षित की उत्तरा के गर्भ में रक्षा एवं परमधाम जाते भीष्म द्वारा की गई स्तुति का मार्मिक वर्णन किया। पूज्य व्यास ने कहा अन्त कितना ही भयानक हो परन्तु सन्तों की शरण उस अंत को संवार देती है। शापित परीक्षित ने संतो की शरण ली शुकदेव जी ने भागवत कथा सुना कर उसका उद्धार कर दिया। वाराह अवतार की कथा कहते हुये भगवान के वराह रूप का वर्णन किया पृथ्वी गंध गुण सम्पन्न है । भगवान शूकर रूप से रसात्तल में जाकर उसकी रक्षा की।
आचार्य द्रोण विचार संस्थान के संयोजक अनुराग पांडेय जी ने बताया कि कथा के अंतर्गत ही कई साधु महात्माओं का आगमन नित्य हो रहा है। आज पूर्व आई. ए. एस केप्टन एस. के द्विवेदी पूर्व आई ए एस चंद्रिका प्रसाद तिवारी, डॉ आनंद त्रिपाठी ,पंडित दुर्गेश व्यास, योगेश शर्मा, वि हि प नीरज पांडे, वि हि प सुधीर पांडे ,आर एस एस उक्त अवसर पर कार्यक्रम के परीक्षित अमिताभ पांडेय, जगदीश प्रसाद मिश्रा, संतोष द्विवेदी, अवध प्रकाश शुक्ला, गोपाल नारायण शुक्ला, सत्येंद्र अवस्थी, राम किशोर अवस्थी, विनय त्रिपाठी, राधेश्याम शुक्ला, प्रदीप शुक्ला, करुणा शंकर तिवारी, गुड्डू पांडेय, आनंद मिश्रा, उदय नाथ शुक्ला, संतोष शुक्ला, मनोज रस्तोगी, बबलू यादव, दिनेश चौरसिया, आर के मिश्रा, दीपक त्रिपाठी ,अमित गुप्ता, अमरीश वर्मा, सुनील वाल्मीकि, अजय बागड़ी, मंगल वाल्मीकि, गौतम वाल्मीकि, रिंकू शुक्ला, राजीव मिश्रा आदि समेत सैकड़ो श्रद्धालु उपस्थित रहे।