लखनऊ के ठाकुरगंज चौराहे के पास एक बेहद प्राचीन कुआं मौजूद है, जो सनातन धर्म की पौराणिकता और मान्यताओं के लिए जाना जाता है। आज से कुछ वर्ष पूर्व तक कुएं के आस पास कूड़े के ढेर लगे होते हैं लेकिन पार्षद एडवोकेट अनुराग पाण्डेय जी के द्वारा किए गए प्रयासों से न केवल यह कुआं संरक्षित हुआ अपितु सनातन धर्म के गौरव की भी रक्षा हुई। लखनऊ ठाकुरगंज चौराहे के पास स्थित यह कुआं आज क्षेत्रवासियों के लिए श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है, जहां वह अपने मंगल कार्यों के दौरान पूजन हेतु अवश्य आते हैं।
विवाह संस्कार, संतान प्राप्ति इत्यादि शुभ अवसरों पर कुआँ पूजन की परम्परा युगों प्राचीन है, सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के जन्म के ग्यारहवें दिन यशोदा मैया ने जलवा पूजा की थी, यानि जल की पूजा करते हुए अपने पुत्र की लंबी आयु की कामना की थी। इसे डोला ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय सनातन परंपरा, जो धर्म के साथ साथ विज्ञान से भी जुड़ी हुई है और यदि वैज्ञानिक संदर्भ से भी देखें तो वर्तमान में यह सिद्धांत भी सिद्ध हो चुका है कि जल की अपनी ऊर्जा होती है, जिसका प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। इस तथ्य को हमारे ऋषि मुनि आज से लाखों वर्ष पूर्व ही भांप चुके थे, इसलिए उन्होंने जन जन को प्रकृति के सबसे अहम तत्व जल को पूजने की परंपरा का श्री गणेश किया और आज आधुनिक काल में भी सनातनी परंपरा में विवाह, संतान प्राप्ति इत्यादि जैसे शुभ कार्यों में कुआं पूजन या जल पूजन को विधान जस का तस बना हुआ है।